बिहार की मिट्टी मे एक ऐसी भी जगह है, जहां आज भी Mata Sita द्वारा दिए गए वह सभी श्राप देखने को मिलते हैं, वह मिट्टी है बिहार के बोधगया की जहां आज भी देश – विदेश से लोग पिंडदान की क्रिया करने के लिए आते हैं। लेकिन हम बात कर रहे हैं उस पुराने काल की जब भगवान राम और लक्ष्मण भी सीता माता के साथ यहां Pind Daan के लिए आए थे।
भगवान राम और लक्षमन पिंडदान का सामग्री लाने के लिए बाहर गए थे। माता सीता अकेली घर पे बैठी हुई थी, तभी अचानक से राजा दशरथ के आत्मा प्रकट हुए और Mata Sita से कहने लगे कि मुझे बहुत भूख लगी हुई है, मुझे अभी के अभी आप Pind Daan दे दो ताकि मेरी आत्मा को शांति मिल जाए।
Mata Sita ने कहा कि मैं पिंडदान कैसे दे सकती हूं, ये काम आपके पुत्र भगवान राम और लक्ष्मण के हैं। इस पर राजा दशरथ के आत्मा ने बोला कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, और अपने Pind Daan के लिए राजा दशरथ के आत्मा ने माता सीता से बहुत अनुरोध किए कि मुझे फल्गु नदी के किनारे बालू से ही पिंडदान दे दो।
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राजा दशरथ की बातों को सुन कर Mata Sita राजी हो गई और पिंडदान के लिए उसी वक्त फल्गु नदी के तरफ निकल पड़ी। फल्गु नदी के पास, एक ब्राह्मण, एक गाय, एक तुलसी का पौधा और एक बढ़ का वृक्ष, इन सभी के सामने सीता माता ने Pind Daan का क्रिया करके घर वापस चली गई।
अब भगवान राम और लक्ष्मण पिंडदान का सामग्री लेकर सीता माता के पास आए। Mata Sita ने वह सभी बातें भगवान राम और लक्ष्मण को बताते हुए जो राजा दशरथ के आत्मा ने बोला था, कहां कि मैं मैंने Pind Daan कर दिया है। ये बातें सुनकर भगवान राम और लक्ष्मण को सीता माता पर विश्वास नहीं हुआ।
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तब माता सीता अपनी बातों को सच साबित करने के लिए भगवान राम और लक्ष्मण को फल्गु नदी के किनारे लेकर गई, और सबसे पहले फल्गु नदी से अनुरोध की, कि आप भगवान राम और लक्ष्मण को सच्चाई बताइए। तब फल्गु नदी ने झूठ बोल दिया कि “नहीं नहीं मैंने कोई Pind Daan होते हुए नहीं देखा”।
उसके बाद Mata Sita ने उस ब्राह्मण से सच्चाई बताने का अनुरोध किया, पर ब्राह्मण ने भी झूठ बोल दिया कि “मैंने भी नहीं देखा“। इस तरह फल्गु नदी और ब्राह्मण के साथ साथ, वह गाय, वह तुलसी का पौधा और बढ़ का बृक्ष ने भी झूठ बोल दिया।
अब सीता माता, भगवान राम और लक्ष्मण के नजर में गलत साबित हो गई। इस पर Mata Sita को बहुत क्रोध आया और उन्होंने उन सभी जियो को श्राप दे दिया:
– “सबसे पहले माता सीता ने फल्गु नदी को Shraap देते हुए कहा कि ये नदी हमेशा सुखी हुई रहेगी। तब से फल्गु नदी में पानी बालू के नीचे से ही जाता है और ऊपर से सूखा हुआ नजर आता है।“ –
– “दूसरी Shraap ब्राह्मण को मिला कि ब्राह्मण कितने भी पैसे कमा ले, पर वे खुशी कभी नहीं रहेंगे। हमेशा उनके मन में लोभ लालच रहेगा और तब से अभी भी आप लोग ब्राह्मण की दशा देख ही रहे होंगे।“ –
– “तीसरा Shraap गाय को मिला कि गाए की हर घर में पूजा तो होगी, पर उसके बावजूद भी गाय को इंसान का जूठा खाना, खाना पड़ेगा और तब से अभी भी ऐसा ही हो रहा है।“ –
– “चौथा Shraap तुलसी के पौधे को मिला कि तुलसी की पूजा तो की जाएगी, पर बोधगया में तुलसी का पौधा कभी नहीं उगेगा और तब से बोधगया में जल्दी तुलसी का पौधा देखने को नहीं मिलता है।“ –
– “और अंत में बढ़ के वृक्ष को यह Shraap मिला कि जो भी बोधगया में पिंडदान के लिए आएगा, वह इस बढ़ के वृक्ष को भी Pind Daan करेगा।“ –
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तो दोस्तो मैंने इस पोस्ट में जो भी बातें लिखी हैं, आपको यह काल्पनिक लग रहा होगा, पर यह काल्पनिक नहीं, सत्य हैं और यह सभी श्राप आज भी देखने को मिलते हैं।
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