Last updated on August 5th, 2020 at 09:29 am
डॉक्टर वशिष्ठ नारायण सिंह, बिहार के एक ऐसे गणितज्ञ थे, जिनका लोहा पुरी अमेरिका मानती है। उन्होंने कई ऐसे रिसर्च किया जिनका का अध्ययन आज भी अमेरिकी छात्र कर रहे हैं। बहुत लम्बे समय से Dr. Vashishtha Narayan Singh, Schizophrenia नामक बीमारी से ग्रसित थे, इसके बावजूद वे मैथ के फार्मूले को सॉल्व करते रहते थे।
देश में कई ऐसे दिग्गज हुए जिन्होंने अपने सिद्धांतों के जरिए पूरी दुनिया को नई राह दिखाई, चाहे वे कामसूत्र ग्रंथ के लेखक वात्सायन हो या फिर फादर ऑफ सर्जरी के नाम से विख्यात ऋषि सुश्रुत या फिर नोबेल प्राइज विजेता सीवी रमन और हरगोविंद खुराना, इन सब ने अपने तरीके से दुनिया के विकास में मदद की।
ऐसे ही कई और दिग्गज भी है उनमें से एक थे, बिहार के भोजपुर जिले के रहने वाले महान गणितज्ञ डॉक्टर वशिष्ठ नारायण सिंह। डॉक्टर वशिष्ठ नारायण सिंह बरसों से सजोफ्रेनिया नामक मानसिक बीमारी की वजह से कुछ भी कर पाने में असमर्थ थे। लेकिन एक जमाना था जब इनका नाम गणित के क्षेत्र में पूरी दुनिया में गूंजता था। ऐसा कहा जाता है कि डॉक्टर सिंह ने आइंस्टीन के सिद्धांत E = mc2 को चुनौती दी थी।
Who was Dr. Vashishtha Narayan Singh?
वशिष्ठ नारायण सिंह का जन्म 2 अप्रैल 1946 को बिहार के भोजपुर जिले के बसंतपुर गाँव में एक गरीब किसान परिवार में हुआ था। यह गाँव जिला मुख्यालय अर्रा से 12 किलोमीटर की दूरी पर है। Vashishtha Narayan Singh ने Netarhat Residential School में छठी कक्षा में प्रवेश लिया और इसी स्कूल से उन्होंने प्रथम स्थान से मैट्रिक की परीक्षा पास की और पूरे बिहार में टॉप किया। इंटर की पढ़ाई के लिए डॉ सिंह ने पटना साइंस कॉलेज में दाखिला लिया और उन्होंने इंटर में भी प्रथम श्रेणी से पास करके पूरे बिहार में प्रथम स्थान हासिल की।
1960 के आसपास बिहार कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग का नाम पूरी दुनिया में था। तब देश विदेश के दिग्गज भी यहाँ आते थे, उसी दौरान कॉलेज में एक मैथमेटिक्स कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया। इस कांफ्रेंस में यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, बर्कले के एचओडी प्रोफेसर जॉन एल केली भी मौजूद थे।
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कॉन्फ्रेंस में मैथ के पांच सबसे कठिन प्रॉब्लम दिए गए जिसे दिग्गज स्टूडेंट भी करने में असफल हो गए लेकिन Vasisth Narayan Singh ने पांचो सवालों के सटीक जवाब दिए। उनके इस जवाब से प्रोफेसर केली काफी प्रभावित हुए और उन्हें आगे की पढ़ाई के लिए अमेरिका आने को कहा।
Achievement of Dr. Vashishtha Narayan Singh:
डॉक्टर वशिष्ठ नारायण सिंह ने अपनी परिस्थितियों से अवगात कराते हुए कहा कि वह एक गरीब परिवार से हैं और अमेरिका में आकर पढ़ाई करना उनके लिए काफी मुश्किल है। ऐसे में प्रोफेसर केली ने उनके लिए भिजा और फ्लाइट टिकट का इंतजाम किया। इस तरह डॉक्टर वशिष्ठ अमेरिका पहुंच गए।
Vasisth Narayan Singh काफी सरमिले थे, इसके बावजूद अमेरिका के कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में उनकी काफी अच्छे से देख रेख की गई। यहीं से उन्होंने Ph.D करके डॉक्टरेट की उपाधि पाई, डॉक्टर सिंह ने साइकिल भेक्टर स्पेस थ्योरी पर शोध कार्य किया और पूरी दुनिया में छा गए।
Institutes Where Vashishtha Narayan Singh Worked?
इस शोधकार्य के बाद Mathematician Vashishtha Narayan Singh वापस भारत आएँ और फिर दुबारा चले गए, तब उन्हें वाशिंगटन में एसोसिएट प्रोफेसर बनाया गया। इधर घर वाले उनकी शादी का दबाव डालने लगे, दबाव की वजह से वह भारत लौट आए तब उन्हें खुद यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के प्रोफेसर डॉक्टर केली और नासा ने रोकना चाहा लेकिन वे नहीं माने और भारत वापस आ गए।
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1971 में वापस आने के बाद उन्हें आईआईटी कानपुर में प्रध्यापक बनाया गया। महज 8 महीने काम करने के बाद उन्होंने बतौर गणित प्रध्यापक टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च ज्वाइन कर लिया। एक साल बाद 1973 में वे कोलकाता स्थित आईएसआई में अस्थाई प्रध्यापक नियुक्त किए गए।
How Did Schizophrenia Captured Vashishtha Narayan Singh?
1973 में ही उनकी शादी बिहार के छपरा के रहने वाली वंदना रानी से हुई। शादी के 3 दिन बाद वंदना ग्रेजुएशन की परीक्षा देने अपने मायके गई और फिर लौटकर नहीं आई। इधर डॉक्टर सिंह कोलकाता अपने जॉब पर चले गए, 1974 में उन्हें पहली बार दौरा पड़ा, तब वे खुद इलाज कराने गए। बाद में नेतरहाट औल्ड वॉइस एसोसिएशन के पहल पर इन्हें रांची स्थित मानसिक आरोग्यशाला में भर्ती कराया गया।
मानसिक बीमारी से जूझ रहे वशिष्ठ नारायण सिंह को तब और झटका लगा जब उनकी पत्नी ने उन्हें छोड़ दिया, जब पत्नी की सपोर्ट की ज़रूरत थी, तब उन्हें तलाक मिल गया। ऐसे में उनकी बीमारी और बढ़ती गई। गाहे-बगाहे इनकी मदद के लिए कुछ लोग सामने आते थे लेकिन निरंतरता नहीं बने रहने के कारण उनकी बीमारी जस के तस बनी हुई थी।
इसके बाद उनका जीवन बेहद दर्दनाक स्थिति में आने लगा। 1987 में वशिष्ठ नारायण जी अपने गाँव बसंतपुर लौट आए और अपनी माँ और भाई के साथ रहने लगे। इस दौरान, वशिष्ठ नारायण सिंह जी को तत्कालीन बिहार सरकार और केंद्र सरकार के तरफ से किसी भी प्रकार की अपेक्षित सहायता नहीं मिली।
Treatment of Vashishtha Narayan Singh’s illness Schizophrenia:
अगस्त 1989 में रांची में फिर से इलाज करने के बाद, उनके भाई उन्हें बेहतर इलाज के लिए बैंगलोर ले जा रहे थे कि रास्ते में वशिष्ठ खंडवा स्टेशन पर उतरे और भीड़ में कहीं खो गए। इस दौरान किसी भी सरकार या पार्टी ने लंबे समय तक उनकी देख रेख नहीं की। लगभग 5 वर्षों तक गुमनाम रहने के बाद, उन्हें छपरा जिले के दोरीगंज में पाया गया जो उनकी पत्नी का मूल निवास था। उनके गाँव के कुछ लोग उन्हें वहाँ देखते हैं और वे लोग उनके भाई को ख़बर देते हैं।
इसके बाद राज्य सरकार ने कुछ समय के लिए वशिष्ठ नारायण सिंह के उपचार की जिम्मेदारी ली। उन्हें इलाज के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल एग्जामिनेशन एंड न्यूरो साइंसेज बैंगलोर भेजा गया, जहाँ मार्च 1993 से जून 1997 तक उनका इलाज चला। उसके बाद वे अपनी गांव वापस आकर रहने लगे थे।
स्थिति ठीक नहीं होने पर फिर उन्हे 4 सितम्बर 2002 को मानव व्यवहार एवं सम्बद्ध विज्ञान संस्थान में भर्ती कराया गया। करीब एक साल दो महीने उनका इलाज चला। स्वास्थ्य में लाभ देखते हुए उन्हें यहाँ से छुट्टी दे दी गई थी।
Death of Dr. Vashishtha Narayan Singh:
कई संस्थाओं ने डॉ वशिष्ठ को गोद लेने की पेशकश की थी। लेकिन उनकी माता को ये स्वीकार नहीं था। वशिष्ठ नारायण सिंह जी का तबीयत खराब होने के चलते उन्हें फिर Patna PMCH ले जाया गया जहाँ कुछ दिन तक उनका इलाज चला, पर कोई सुधार नहीं आया और उसके बाद 14 नवम्बर 2019 को पटना PMCH में ही उनका निधन हो गया। इस तरह एक महान गणितज्ञ का बड़ा ही दर्दनाक अंत हो गया।
वशिष्ठ नारायण सिंह का पार्थिव शरीर अस्पताल परिसर में करीब 1.30 घंटे तक स्ट्रेचर पर रखा रहा। अस्पताल प्रशासन की तरफ से एंबुलेस नहीं मुहैया कराई गई। पार्थिव देह के साथ Vashishtha Narayan Singh के छोटे भाई अयोध्या सिंह काफी देर तक अस्पताल के बाहर खड़े रहे। उन्होंने बताया कि एंबुलेंस वाले ने पार्थिव शरीर भोजपुर ले जाने के लिए उनसे 5 हजार रुपए मांगे। बाद में कलेक्टर-कुमार रवि और कुछ नेता पहुंचे, जिसके बाद एंबुलेंस के उनके पैतृक आवास भोजपुर ले जाने की व्यवस्था हुई।
महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह की मौत की खबर मिलते ही बिहार सहित पूरे देश में शोक छा गया। इस पर तत्कालीन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित कई बड़े नेताओं ने भी दुख जताया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ करवाया।
पॉलिटिशियन ने तो इस महान शख्स को भुला दिया पर हमारी यह फर्ज बनती है कि हम ऐसे महान शख्स को हमेशा याद रखें। किसी ने ठीक ही कहा है कि चीजों की कीमत मिलने से पहले होती है और इंसानों की कीमत खोने के बाद। आपको बताना चाहूंगा महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह जी के शोध पर अभी भी कई वैज्ञानिक कार्य कर रहे हैं।
Vashishtha Narayan Singh Awarded With Padma Shri Award:
दिवंगत गणितज्ञ Vashishtha Narayan Singh को भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म श्री से सम्मानित किया गया है। उनके छोटे भाई, अयोध्या प्रसाद सिंह और परिवार के अन्य सदस्य इस घोषणा पर खुश हैं। अयोध्या प्रसाद ने कहा, “मेरे दिवंगत भाई को उनकी मृत्यु से बहुत पहले सम्मानित किया जाना चाहिए था।“ जब वह जीवित थे तो लोग उनके योगदान को भूल गए थे।
Biopic of Vashishtha Narayan Singh:
विश्व प्रसिद्ध गणितज्ञ स्वर्गीय वशिष्ठ नारायण सिंह के जीवन पर आधारित फ़िल्म फरहान अख्तर के प्रोडक्शन बैनर एक्सेल एंटरटेनमेंट के तहत बनाई जाएगी। फ़िल्म समीक्षक और व्यवसाय विश्लेषक तरण आदर्श ने इस जीवनी फ़िल्म के बारे में ट्विटर के जरिये जानकारी दिया।
पटना में मंगलवार को हुई विशेष प्रेस कॉन्फ्रेंस में फ़िल्म के निर्देशक नीरज पाठक ने Vashishtha Narayan Singh के परिवार के सदस्य हरिश्चंद्र सिंह, मुकेश सिंह, शिव मंगल, राकेश सिंह और मिथिलेश सिंह के साथ बात करते हुवे इस बायोपिक फिम की पुष्टि की। फ्लिक के निर्देशक के अनुसार, दर्शक इस फ़िल्म में वशिष्ठ के जीवन के वास्तविक जीवन के चित्रण का अनुभव कर पाएंगे।
उन्होंने अक्षय कुमार और आमिर खान सहित प्रसिद्ध अभिनेताओं की कास्टिंग की संभावना की भी घोषणा की। नीरज पाठक ने यह भी बताया कि पिछले दो वर्षों से, जीवनी लिखने के लिए, वह बिहार के दिवंगत गणितज्ञ के गृह राज्य बसंतपुर का दौरा करते रहे हैं। उन्होंने कामना की कि अगर वशिष्ठ के जीवित होने पर फ़िल्म बनाई गई होती तो बेहतर होता। फ़िल्म को बसंतपुर में वशिष्ठ के पैतृक घर और नासा, कैलिफोर्निया सहित उनके जीवन से सम्बंधित विभिन्न स्थानों पर शूट किया जाएगा।
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Great man and great mathematician. Salute to you sir
yes, he is one of the great mathematician…
The mathematician who challenged the theory of Einstein
Great person, but it’s very sad and painful